गुरुवार, 6 नवंबर 2008

घूमते - घूमते

दस महीने हुए एक मीडिया रिसर्च कंपनी से जुड़े हुए , मीडिया की मुख्यधारा से दूर और करीब इतना ही समय बीता ब्लॉग और लेखन से दूर। शुरू में अफसोस होता था कि कहां आ गया अखबारों और चैनलों कि दुनिया से दूर लगता था की कुछ खो रहा हूँ। इन दस महीनों में जितना कुछ देखा , सीखा जितने अनुभव मिले वो अविस्मरणीय रहे। जैसे जैसे देखता गया लगा की नहीं अब तक तो सब कुछ शेष था । जो खबरें , समस्याएं अखबारों की सुर्खिया बनती है उनपे खबर बनाना , घंटो सिगरेट और चाय की चुस्कियों के साथ जिरह करना और उन खबरों के बीच में रहना काफी अलग होता है ।
चाहे छत्तीसगढ़ के नक्सलियों की बात हो या उत्तर पूर्व के बोडो की ।
इन दस महीनो में त्रिपुरा के सोनामुरा से लेकर कन्याकुमारी तक और भद्रवाह से लेकर राजस्थान के जैसलमेर। दस महीनों में सोलह राज्य । बीच में काफी चाहा कि लिखने को पर समय नहीं निकल सका , जहां समय तो था पर संसाधन नहीं थे पिछला ब्लॉग मेरी बेवकूफी से डिलीट हो चुका था इस ब्लॉग का नया नाम सुशांत भाई ने सुझाया । कोशिश करूँगा नियमित रूप से कुछ पांऊ।

5 टिप्‍पणियां:

Sadhak Ummedsingh Baid "Saadhak " ने कहा…

आपके अनुभव से हमें, मिली प्रेरणा खूब.
सशक्त माध्यम ब्लाग है,मीडिया प्यारा खूब.
मीडिया प्यारा खूब, तुरत ट्टिपणी भेजता.
हज्जारों लोगों तक,अपनी बात भेजता.
यह साधक कवि, बात कहे अपने अनुभव से.
मिली प्रेरणा खूब हमें आपके अनुभव से.

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } ने कहा…

लोकतंत्र के चारो खंभे बुरी तरह से हिल रहे है ,चलिए पांचवा खम्बा की मजबूती को परख लेते है .

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर ने कहा…

khambe ko pakad kar rakhana narayan narayan

रचना गौड़ ’भारती’ ने कहा…

i am also a fre lancer . Working as a Editor in a family magzine from kota.I am also having master degree in journalism
भावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है ।
लिखते रहिए, लिखने वालों की मंज़िल यही है ।
कविता,गज़ल के लिए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।

Amit K Sagar ने कहा…

ब्लोगिंग जगत में आपका हार्दिक स्वागत है. लिखते रहिये. दूसरों को राह दिखाते रहिये. आगे बढ़ते रहिये, अपने साथ-साथ औरों को भी आगे बढाते रहिये. शुभकामनाएं.
--
साथ ही आप मेरे ब्लोग्स पर सादर आमंत्रित हैं. धन्यवाद.